आप सभी मित्रों का सादर अभिनन्दन,
मित्रों, छत्तीसगढ़ राज्य भारत का २६वा राज्य है. जिसकी विधिवत स्थापना क्षेत्र वासियों के निरंतर मांग और लंबे संघर्ष के पश्चात १ नवंबर २००० को हुई, यद्यपि “छत्तीसगढ़ प्रान्त” का प्रयोग छत्तीसगढ़ के साहित्य में बहुत पहले से ही किया जाता रहा है. प्राचीन नाम दक्षिण कौशल (भगवान श्रीराम की माँ कौशिल्या का मायका एवं बाद में भगवान श्रीराम के पुत्र कुश का राज्य) में उल्लिखित ३६ गढों (फोर्ट) के कारण ही इस क्षेत्र का नाम छत्तीसगढ़ हुआ जो निम्न हैं :- १ रायपुर २ पाटन ३ सिंगारपुर ४ लवन ५ खल्लारी ६ सिरपुर ७ फिन्गेस्वर ८ राजिम ९ सिंगनगढ़ १० सुअरमाल ११ टेंगनगढ़ १२ अकलतरा १३ अमीरा १४ दुर्ग १५ सरधा १६ सिरसा १७ मोहदी १९ सिमगा १९ रतनपुर २० मारो २१ विजयपुर २२ सोठीगढ़ २३ कोट्गढ़ २४ ओखरगढ़ २५ पंडरभट्टा २६ सेमरिया २७ चाम्पा २८ लाफागढ़ २० छुरी ३० कैदागढ़ ३१ मातीन ३२ उपरोरा ३३ पेंड्रा ३४ करकट्टी ३५ खरौद तथा ३६ नवागढ़. “छत्तीस कदम” का लक्ष्य इन समस्त गढ़ों से सम्बंधित जानकारियाँ बारी बारी से उपलब्ध कराना है.
क्षेत्रफल की दृष्टी से भारत का दसवां बड़ा राज्य है छत्तीसगढ़. उत्तर में मैकल पर्वत की श्रेणियों तथा दक्षिण में सिहावा तथा बस्तर की पहाडियों से घिरा वनाच्छादित यह मनोरम राज्य अपनी जीवन दायिनी मुख्य नदी महानदी (चित्रोत्पला/नीलोत्पला) एवं अरपा, शिवनाथ, पैरी, सोंढूर, जोंक, खारून सहित इन्द्रावती और उसकी अनेक छोटी बड़ी सहायक नदियों से सिंचित तथा परिपोषित है. यहाँ की धरती कोयला, सीमेंट, लोहा तथा हीरा जैसी प्राकृतिक संपदा से परिपूर्ण है. छत्तीसगढ़, भारत का मुख्य धान उत्पादक राज्य है और धान की इसी प्रचुर उत्पादकता के कारण इसे “धान का कटोरा” के नाम से भी जाना जाता है.
अयोध्या के सम्राट दशरथ के लिए पुत्रेश्टी यग्य संपन्न करा के श्रीराम के अवतरण का मार्ग प्रशश्त करने वाले श्रृंगी ऋषी सहित वाल्मीकि, अगस्त्य, अत्री और सुतीक्ष्ण जैसे विद्वान मनीषियों/ऋषियों की तपोभूमी छत्तीसगढ़ में जहां भगवान श्रीराम के द्वारा अपने वनवास काल का काफी समय व्यतीत करना प्रमाणित है तो वहीं अयोध्या से निष्कासन पश्चात माता सीता की शरण स्थली होने और श्रीराम तथा माता सीता के पुत्रों लव कुश की शिक्षा दीक्षा होने के साथ भगवान श्रीकृष्ण के पावन पदारोहण के प्रमाण भी उपलब्ध हैं. महाकवि कालिदास की जन्मभूमि और कर्मभूमी छत्तीसगढ़ एक ओर जहां अपनी प्राचीन राजधानी सिरपुर (श्रीपुर) की पुरातात्विक घरोहरों की वजह से विश्वविख्यात है तो दूसरी ओर डोंगरगढ़, रतनपुर, खल्लारी और दंतेवाडा स्थित जगतजननी माँ भगवती के सिद्ध मंदिरों ने देश विदेश का ध्यान अपनी ओर खींचा है. अचानकमार, बारनवापारा, उदंती, सीतानदी, तमोरपिंगला, भोरमदेव, भैरमगढ़, पामेड, गोमरदा, समरसोत, बादलखोल अभ्यारण के सघन हरियाले वन, चित्रकूट, तीरथगढ़, रामझरना जलप्रपात, गंगरेल, खुटाघाट, तरेंगा, खुडिया और छिन्दारी बाँध के विहंगम नयनाभिराम दृश्य.... आ..आह, हमारा दावा है कि मनोरम छत्तीसगढ़ के दर्शनीय स्थलों में पहुँचने के बाद आपकी इच्छा यहाँ से जाने की ही नहीं होगी. कुल मिला कर कहें तो यहाँ की संस्कृती, यहाँ का साहित्य, यहाँ का पर्यटन, यहाँ की सामाजिक समरसता और सौहार्द्रता छत्तीसगढ़ को अतुलनीय बनाती है. “३६ कदम” ऐसे अतुलनीय छत्तीसगढ़ से शनैः शनैः आपको भलीभांती परिचित कराने का प्रयास करता एक मंच है.
आशा है ३६ कदम अपने शोधपरक आलेखों और दृश्यावलियों के जरिये अपने इस सद्प्रयास में सफल होगा.... जय छत्तीसगढ़.